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                                                    पत्थर‍की‍खूबी

                                                    ें
                                          पत्थर‍म‍बस‍एक‍कमी‍होती‍ह,
                                                                              ै
                                               क्रक‍वो‍र्पघलता‍नहीं‍ह,
                                                                         ै
                                                े
                                                                      ै
                                              लक्रकन‍उसकी‍खूबी‍ह‍क्रक
                                                                      ै
                                                 वह‍बदलता‍नहीं‍ह‍।


                                                           ि
                                                        दद‍का‍एहसास
                                                  अपने‍तो‍वो‍होते‍ह
                                                                        ैं
                                                       े
                                                ें
                                                           ि
                                          जजन्ह‍हमार‍दद‍का‍एहसास‍हो...
                                                  वरना‍हालचाल‍तो
                                                      ें
                                             रास्ते‍म‍आते‍जाते‍लोग‍भी
                                                             े
                                                     पूछ‍लते‍हैं‍।



                                                   कल‍और‍आज


                                                                            े
                                                                     े
                                             कल‍खो‍ददया‍आज‍क‍मलय
                                                                     े
                                                                            े
                                             आज‍खो‍ददया‍कल‍क‍मलय
                                        कभी‍जी‍ना‍सक‍हम‍आज‍क‍मलय
                                                           े
                                                                          े
                                                                                 े
                                                              ै
                                                  बीत‍रही‍ह‍जजंदगी,
                                                                            े
                                                                      े
                                             कल‍आज‍और‍कल‍क‍मलय
               ‍





                                                                        ै
               ‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍हहंदी आम बोलचाल की ‘महाभाषा’ ह : जाजि धियसिन
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