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                                                                 श्रीमिी एन.कामाक्षी

                                                        े
                                                      सवा तनवृत्त राजभाषा अधधकारी
                                                                           े
                                                      बीएसएनएल चेन्नई टलीफोन्स



                                    जननी जन्मभूममश्च स्वगािदवप गरीयसी

               सबको‍मेरा‍प्रणाम‍।
                                                                   े
                                                                          ं
                                                                         ं
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                       चन्नई‍ टलीफोन्स‍ रजाभाषा‍ अनुभाग‍ स‍ मरा‍ सबि‍ बहत‍ ही‍ प्रममय,‍ स्नेहमय,‍
                                                                                          े
                                                                                ु
               स्वर्णिम‍तथा‍अर्वस्मरणीय‍ह‍।‍सवाननवृत्त‍होकर‍सोलह‍साल‍क‍बाद‍भी‍मुझ‍याद‍करने‍हतु‍
                                                 े
                                                                                                        े
                                                                                           े
                                                                             े
                                            ै
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               मैं‍आप‍को‍आभार‍प्रकट‍करती‍हुँ‍।‍यह‍बड़ी‍प्रासन्नता‍का‍र्वषय ह‍क्रक‍हमारी‍“चेन्नई वाणी”‍
                                                ू
                                                      ं
                                                                                            ि
               गृह‍पत्रिका‍की‍रजत‍जयंती‍र्वशेषाक‍सस्करण‍प्रकामशत‍हो‍रही‍ह‍।‍मेरी‍हाददक‍बिाइयाुँ‍।
                                                                                ै
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               ‍       चेन्नई‍ वाणी‍ क‍ इस‍ प्रकाशन‍ म‍ हमार‍ चेन्नई‍ टलीफोन्स‍ क‍ वररष्ठ‍ अधिकाररयों,‍
                                                                         े
                                                              े
                                                                                    े
                                                                 े
                                                                                                े
               अधिकाररयों,‍कमिचाररयों‍और‍राजभाषा‍अनुभाग‍क‍सभी‍अनुवादकों‍और‍स्टाफ‍क‍योगदान‍
                                      ं
                                        ै
               क‍त्रबना‍यह‍सभव‍नही‍ह‍।‍उन‍सब‍को‍बिाइया‍प्रकट‍करती‍हुँ‍।‍
                              ं
                                                                ुँ
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                                                                                       ं
                                                                ि
                                         े
                       मेरी‍सेवा‍ननवृर्त्त‍क‍बाद‍श्रीमती‍जया‍सूया‍चल्लम‍ने‍कायिभार‍सभाला‍और‍राजभाषा‍
                                                                े
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               कायान्वयन‍म‍ बड़ी‍ सवा‍ की‍ ह‍ ।‍ मरी‍ सभी‍ सहमलया‍ क ृ तज्ञता‍ क‍ पाि‍ ह  ।  उनकी‍श्रद्िा,‍
                                                                                          ै
                                                                                 े
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                                                     े
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                                                                                                          ें
                                                         ै
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                                                                                                े
               लगन,‍सहयोग‍स‍ही‍यह‍प्रकाशन‍सभव‍ह‍।‍इस‍शुभ‍अवसर‍पर‍चन्नई‍वाणी‍क‍पच्चीसव‍
                                                                                                    े
               अंक‍प्रकाशन‍रजत‍जयंती‍र्वशेषांक‍और‍दहंदी‍ददवस‍समारोह‍(14‍मसतंबर‍2021)‍क‍मलए‍
               मरी‍हाददक‍शुभकामनाए‍।‍
                        ि
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               प्रक ृ नत‍की‍अद्भुत‍लीला‍का‍र्वस्मरण           मानव,‍मानव‍से‍डरता‍ह    ै
                                                                                        ै
               क्रकया‍कोरोना‍का‍ऱूप‍िारण                      सोमशयल‍डडस्टन्स‍करता‍ह‍–‍क्यों‍ऐसा
               भयानक‍वायरस‍का‍जन्म‍पररणाम                     उत्तर‍हमारी‍प्रक ृ नत‍ही‍म‍ह  ै
                                                                                     ें
               जनों‍का‍र्वमभन्न‍संहार                         नई‍दृजष्ट‍बदलाव‍अपनाना‍ह    ै
                                                                         े
                       े
               अिमि‍क‍असीम‍ऱूप‍मलया‍दानव‍ऱूप‍साकार  चादहए‍हमार‍र्वचार‍र्वशाल
                                                                                       ें
               भ्रष्टाचार,‍ममथ्या,‍अत्याचार‍और‍अन्याय         कोरोना‍से‍बच,‍ममल्लत‍म‍ही‍ताकत‍ह      ै
                                                                           े
               उजड़‍ददया‍संसार‍को‍आज‍।                         यही‍नया‍रास्ता‍कोरोना‍से‍सीख
               नतीजा‍हआ‍कोरोना‍स‍दुष्पररणाम                   स्थार्पत‍हो‍प्रेममय‍र्वश्वराज्य‍।
                                     े
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                  ें
               कर‍क ु दरत‍का‍आदर,‍जुड़े‍सत्य‍और‍                                 जयहहंद
               प्रेम,‍अदहंसा‍से‍सदा
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